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COUNTER STRIKE CD KEY
COUNTER STRIKE : CONDITION ZERO CD KEY[ORIGINAL]
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 मेरू रिलीजन स्पॉट, कैलाश पर्वत (Meru religion spot Mount kailash)

 मेरू रिलीजन स्पॉट, कैलाश पर्वत (Meru religion spot Mount kailash) हिमालय पर्वत के उच्चतम श्रंखला में मानसरोवर में यह बहुत पवित्र जगह है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां भगवान महादेव स्वंय विराजमान हैं। यह धरती का केंद्र है। दुनिया के सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित कैलाश मानसरोवर के पास ही कैलाश और आगे मेरू पर्वत स्थित हैं। यह संपूर्ण क्षेत्र शिव और देवलोक कहा गया है। रहस्य और चमत्कार से परिपूर्ण इस स्थान की महिमा वेद और पुराणों में भरी पड़ी है।     कैलाश पर्वत समुद्र सतह से 22,068 फुट ऊंचा है तथा हिमालय के उत्तरी क्षेत्र में तिब्बत में स्थित है। चूंकि तिब्बत चीन के अधीन है अतः कैलाश चीन में आता है, जो चार धर्मों- तिब्बती धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और हिन्दू का आध्यात्मिक केंद्र है। कैलाश पर्वत की 4 दिशाओं से 4 नदियों का उद्गम हुआ है- ब्रह्मपुत्र, सिंधु, सतलुज व करनाली।

BAT

" चमगादड गुफा से निकलते समय हमेसा बाएँ हाथ मुडते है." "चमगादड़ों की एक छोटी बस्ती एक साल में 1000 किलो कीड़े जा 6 करोड़ खटमल खा सकती है." "एक चमगादड़ एक घंटे में 600 खटमल तक खा सकता है जो एक मनुष्य के एक रात में 18 पीजा खाने के बराबर है." "एक सरवे के अनुसार लगभग 140 बड़े भूरे चमगादड़ एक गर्मी के मौसम में बहुत सारे ऐसे कीटो के खा सकते है जो खीरो को नुकसान पहुँचाते है और इससे किसानो के 51 करोड़ रूपये बचते हैं." "दुनिया के सबसे लंम्बे चमगादड़ के पंखो की लंम्बाई 5 से 6 फुट तक की है." "संसार में लगभग चमगादड़ों की 1100 प्रजातीयाँ पाई जाती है." "कुछ पौदों के बीज पुंगरते ही नही अगर वह चमगादडों की पाचन प्रणाली से न गुजरें इसके इलाव चमगादड़ जो पका हुआ फल खाते है उनके बीज भी फैला देते है. लगभग 95% उष्णकटिबंधीय वर्षावनों का वनीकरण चमगादड़ों द्वारा फैलाये गये बीजो से हुआ है." "चमगादड़ों की सबसे बड़ी गुफा Texax में है और इसमें2 करोड़ के करीब चमगादड़ रहते है.यह हर रोज 2 लाख किलो खटमल खा जाते हैं." "कुछ सफेद

KANYAKUMARI DEVI TEMPLE

कन्याकुमारी देवी मंदिर,  (Kanyakumari Devi Temple) कन्याकुमारी प्वांइट को इंडिया का सबसे निचला हिस्सा माना जा है। यहां समुद्र तट पर ही कुमारी देवी का मंदिर है। यहां मां पार्वती के कन्या रूप को पूजा जाता है। यह देश में एकमात्र ऐसी जगह है जहां मंदिर में प्रवेश करने के लिए पुरूषों को कमर से ऊपर के क्लॉथ्स उतारने होंगे। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान पर देवी का विवाह संपन्न न हाे पाने के कारण बचे हुए दाल-चावन बाद में कंकड़-पत्थर बन गए। कहा जाता है इसलिए ही कन्याकुमारी के बीच या रेत में दाल और चावल के रंग-रूप वाले कंकड़ बहुत मिलते हैं। आश्चर्य भरा सवाल तो यह भी है कि ये कंकड़-पत्थर दाल या चावल के आकार जितने ही देखे जा सकते हैं।   प्राकृतिक सौंदर्य : यदि आप मंदिर दर्शन को गए हैं तो यहां सूर्योदय और सूर्यास्त भी देखें। कन्याकुमारी अपने ‘सनराइज’ दृश्य के लिए काफी प्रसिद्ध है। सुबह हर विश्रामालय की छत पर टूरिस्टों की भारी भीड़ सूरज की अगवानी के लिए जमा हो जाती है। शाम को अरब सागर में डूबते सूरज को देखना भी यादगार होता है। उत्तर की ओर करीब 2-3 किलोमीटर दूर एक सनसेट प्वॉइंट भी यहां है